चिरपरिचित बुढ़ा बरगद आज भी वैसा ही खड़ा है जैसा हमारे छुटपन में खड़ा था. पूंछने पर दादा-बाबा भी कहते थ... चिरपरिचित बुढ़ा बरगद आज भी वैसा ही खड़ा है जैसा हमारे छुटपन में खड़ा था. पूंछने पर...
मेरी आंखों के आगे वही बरगद, बाबा, दुख - सुख एक एक कर के आने लगे। मेरी आंखों के आगे वही बरगद, बाबा, दुख - सुख एक एक कर के आने लगे।
पर उषा को सुननेवाला वहाँ कोई नहीं था। पर उषा को सुननेवाला वहाँ कोई नहीं था।
आँखें बद कर माँ को श्रद्धांजलि अर्पित की, उसकी आँखें आँसुओं से भर गईं। आँखें बद कर माँ को श्रद्धांजलि अर्पित की, उसकी आँखें आँसुओं से भर गईं।
पाठक अध्याय पूरा किए बिना उपन्यास छोड़ ही नहीं सकता ! पाठक अध्याय पूरा किए बिना उपन्यास छोड़ ही नहीं सकता !
जो बात बात नापसंद हो उनको नजरंदाज करे और एक दूसरे की भावनाओं का सम्मान करे। जो बात बात नापसंद हो उनको नजरंदाज करे और एक दूसरे की भावनाओं का सम्मान करे।